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चीन से लड़ो लड़ाई



चीन से लड़ो लड़ाई....जरूर पढ़े यह कविता

हिन्दी चीनी भाई भाई।
किसने यह बात चलाई।
धोखा देगा चीन की फितरत।
सीधे कभी लड़े न लड़ाई।
गुरु है चीन पाक है चेला।
दोनों की हो गई है सगाई।
जब देखो तब वीटो करता।
अज़हर मसूद है इसका भाई।
कर दो नेस्तनाबूत चीन को।
इसके सामानों की करो विदाई।
अगर न खरीदेंगे चीनी वस्तु
अर्थ व्यवस्था इसकी चरमराई।
रो रो कर ये पांव लगेगा।
फिर न करेगा पाक की अगुवाई।
कसम तुम्हे है भारतीय बंधू।
आओ लड़े अब चीन से लड़ाई।
दिवाली पर चीनी झालर।
जले न किसी भी घर मेरे भाई।
चीनी सामानों को ना कह दो।
कर दो इसकी मूड़ पिटाई।
आओ अब स्वदेशी अपनाएं।
हिन्दी चीनी नहीं हैं भाई भाई।

आप अभी पाठको से विनम्र अनुरोध है की गर आपको ये कविता पसंद आये तो जरूर अपने इष्ट मित्रो, बंधुओ एव सभी भारतीय भाइयो के साथ अवश्य शेयर करे|
राष्ट्रहित का गला दबा कर छेद न करना थाली में...मिट्टी वाले दिए जलाना अबकी बार दीवाली में...


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