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किसान भाई जाने और समझे अपना अधिकार...

प्रदेश में खेती के कार्य में लगे सैकड़ों किसानों और खेतिहर मजदूरों की हर वर्ष मौत हो जाती है या घायल हो जाते हैं। इसी तरह, आग लगने, बाढ़ आने, तेज बारिश होने, तूफान आदि से फसलों का भी काफी नुकसान हो जाता है। इन सबकी भरपाई के लिए उत्तराखंड कृषि उत्पादन विपणन बोर्ड की तरफ से आर्थिक सहायता दी जाती है लेकिन जानकारी के अभाव में संबंधित लोग इसका लाभ नहीं उठा पाते हैं। 

इस तरह मिलती है मदद -
- खेती का काम करते वक्त मौत होने पर 50,000 रुपये
- दोनों हाथ/पैर या आंख खराब होने पर 30,000 रुपये
- एक हाथ या एक पैर खराब होने पर 15,000 रुपये
- हाथ या पैर की एक साथ तीन या इससे ज्यादा अंगुली खराब होने पर 10,000 रुपये
- हाथ या पैर का अंगूठा खराब होने पर 09,000 रुपये।

फसल जलने या नष्ट होने पर-
- 5 एकड़ तक के जमीन धारक को अधिकतम 10,000 रुपये या वास्तविक आकलित नुकसान जो कम हो।
- 5 एकड़ से अधिक के जमीन वालों के लिए 12,000 रुपये अधिकतम या वास्तविक नुकसान जो कम हो।

45 दिन के भीतर जानकारी देनी जरूरी-
मंडी योजना का आर्थिक लाभ लेने के लिए पीड़ित किसान या उसके परिजनों को घटना के 45 दिन के भीतर अपने नजदीकी मंडी समिति अध्यक्ष या सचिव को जानकारी देनी होगी। उनसे आवेदन लेकर सहायता राशि मंडी बोर्ड से मांगी जाएगी।

कृषि की पढ़ाई करने वालों के लिए छात्रवृत्ति-
मंडी बोर्ड की ओर से प्रदेश के तीनों सरकारी कृषि विद्यालयों में कृषि संबंधी पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए छात्रवृत्ति देने की भी योजना है। एक छात्र को प्रतिमाह 1500 रुपये (18,000 रुपये सालाना) छात्रवृत्ति देने का प्रावधान है। लेकिन जानकारी नहीं होने की वजह से छात्र भी इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। जबकि पढ़ाई के दौरान कई छात्रों को खर्च चलाने के लिए लोन लेना पड़ता है। जानकारी की कमी के कारण किसान और छात्र योजना का लाभ लेने से वंचित रह जाते हैं। लाभ लेने के लिए किसान या कृषि से संबंधित पढ़ाई करने वाले छात्र जल्द अपने पास की मंडी समिति में आवेदन करें। (सूत्रों से प्राप्त जानकारी)

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